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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घुसपैठियों को वापस भेजने की मांग वाली याचिका पर जल्द सुनवाई करेगा. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आश्वासन देते हुए कहा कि मामले में केंद्र का जवाब दाखिल होने के बाद इसे सुनवाई के लिए लगाया जाएगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के मुद्दे का बेहतर समाधान कोर्ट की बजाय सरकार के पास है.
क्या है मामला?
बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. याचिका में मांग की गई थी कि भारत में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या लोगों की पहचान की जाए और उन्हें एक साल के भीतर वापस भेजा जाए. केंद्र और कई राज्य सरकारों ने अभी तक इस याचिका पर जवाब नहीं दिया है.
अश्विनी उपाध्याय की याचिका में देश में अवैध तरीके से प्रवेश को लेकर बने कानूनों को और सख्त किए जाने की मांग भी की गई है. साथ ही यह भी कहा गया है कि भारत में अवैध तरीके से आने वाले लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज बनाने को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध घोषित किया जाना चाहिए.
‘फिर तो लोकसभा-राज्यसभा की जरूरत ही नहीं’
अश्विनी उपाध्याय ने चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच से मामले पर जल्द सुनवाई के अनुरोध किया. जल्द सुनवाई की मांग से असहमत नजर आ रहे चीफ जस्टिस ने कहा, “आप हर दिन कोई मांग कोर्ट में रख देते हैं. कभी चुनाव सुधार, कभी जनसंख्या. यह सब मसले ऐसे हैं जिन्हें चुने हुए जनप्रतिनिधियों और सरकार को देखना चाहिए. अगर हम सब पर आदेश देने लगें, तो लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं की ज़रुरत ही नहीं है.”
‘संविधान मुझे देता है अधिकार’
वकील अश्विनी उपाध्याय ने इसका जवाब देते हुए कहा, “यह एक गंभीर मसला है. देश में लगभग 5 करोड़ घुसपैठिये हैं. यह स्थानीय लोगों के रोजगार और सरकारी सुविधाएं हथिया लेते हैं. ऐसे लोगों को सरकार की तरफ से बनाए जा रहे मकान तक मिल जा रहे हैं.” उपाध्याय ने आगे कहा, “संविधान का अनुच्छेद 32 मुझे यह अधिकार देता है कि मैं मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करूं. कई राज्यों ने जवाब दाखिल कर दिए हैं, लेकिन याचिका सुनवाई के लिए नहीं लग रही.”
कोर्ट ने दिया आश्वासन
चीफ जस्टिस ने कोर्ट में मौजूद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया. उन्होंने पूछा कि क्या केंद्र सरकार का जवाब तैयार है? मेहता ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार का जवाब दाखिल होने के बाद मामले को सुनवाई के लिए लगा दिया जाएगा.
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