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<p style="text-align: justify;">दिल्ली दंगा मामले की मुख्य आरोपी और कांग्रेस पार्षद इशरत जहां जमानत पर हैं. उन्होंने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा है कि दिल्ली पुलिस का ये आरोप बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा कि मेरा दंगों से कोई लेना देना नहीं था. मैं सिर्फ सीएए और एनआरसी के विरोध में एक प्रदर्शन में शामिल हो रही थी. इशरत जहां ने इंटरव्यू में साफ कहा कि मैंने कहीं भी किसी भी तरह का कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया था. न ही किसी हिंसक भीड़ में ही मैं शामिल हुई.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल- दिल्ली पुलिस का आरोप है कि आप दिल्ली दंगो की साजिश में लिप्त रही हैं? आपका क्या कहना है? </strong><br /><strong>जवाब-</strong> सबसे बड़ी बात ये है कि आज के समय में अगर हम सरकार की नीति के विरोध में कोई बात कहते हैं तो उसे देश विरोधी साबित किया जाता है, जबकि ऐसा नहीं है. मेरा विरोध सरकार की नीति के खिलाफ था, न कि हमारे देश के खिलाफ़. दिल्ली पुलिस का ये आरोप बिल्कुल गलत है. मेरा दंगों से कोई लेना देना नहीं है. मैं सिर्फ सीएए और एनआरसी के विरोध में एक प्रदर्शन में शामिल हो रही थी. मैंने कहीं भी किसी भी प्रकार का कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया. न ही किसी हिंसक भीड़ में शामिल हुई. जहां पर दंगे हुए थे, वहां पर मैं गई तक नहीं. पुलिस के पास भी मेरी कोई लोकेशन नहीं मिली, जो ये साबित कर सके कि मैं दंगे वाली जगह पर गई थी. इतना ही नहीं मैं जिस प्रदर्शन में शामिल हो रही थी, वह प्रदर्शन भी एक अलग जगह पर चल रहा था और इस तरह के कई प्रदर्शन देश के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे थे.</p>
<p style="text-align: justify;">इशरत जहां ने कहा कि पुलिस ने मुझे इसलिए गिरफ्तार किया, क्योंकि पुलिस नहीं चाहती थी कि कोई भी पढ़ा-लिखा व्यक्ति सीएए-एनआरसी का विरोध जारी रखे. यही वजह है कि मुझे दंगों के झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया. अदालत ने जो मुझे जमानत दी है, उसमें भी यह बात स्पष्ट है कि न तो पुलिस को मेरे खिलाफ किसी व्हाट्सएप ग्रुप में कुछ मिला है. ऐसा दावा किया गया था कि मैं किसी व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा हूं, जिसमें दंगों की साजिश रची गई है. न ही किसी भी तरह के फंडिंग में मेरी कोई भूमिका निकल कर आई है. पुलिस जिसे फंडिंग का नाम दे रही थी, वह ट्रांजैक्शन मेरी अपनी फैमिली के बीच में थी और यह चीज भी अदालत के सामने आ चुकी है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल- जब आपको गिरफ्तार किया गया था तो आपको पुलिस द्वारा क्या जानकारी दी गयी थी? </strong><br /><strong>जवाब-</strong> मुझे जब गिरफ्तार किया गया था तो मुझे यह तक नहीं बताया गया था कि मुझे गिरफ्तार करने के लिए पकड़ा गया है. मैं अपनी कार में अकेली थी. जिस जगह पर मैं मौजूद थी वहां पर दंगे का कोई नामोनिशान भी नहीं था. पुलिस ने मुझे पकड़ा और थाने ले गई. लगभग 4 घंटे तक थाने में मुझे बगैर किसी जानकारी के बंद रखा गया. मैं वकील भी हूं तो मुझे भी बात समझ में आने लगी कि अब मुझे गिरफ्तार करेंगे. वह दिन 26 फरवरी का था. मैं उस तारीख को कभी नहीं भूल सकती. मैंने इन लोगों से पूछा कि मेरे साथ क्या करने वाले हो, तब मुझे रात को बताया गया कि मुझे गिरफ्तार किया जा रहा है. यूएपीए तो 3 महीने बाद मुझ पर लगाया गया था. यूएपीए एक ऐसी धारा है, जिसमें शायद मेरी ज़िंदगी खत्म भी हो जाये, लेकिन पुलिस की जांच खत्म नहीं होगी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल- एक जनसेवक पर यूएपीए जैसी संगीन धारा में गिरफ्तार होना बेहद गंभीर है, आपको इस बारे में क्या कहना है?</strong><br /><strong>जवाब-</strong> यूएपीए एक ऐसी धारा है, जिसमें शायद इंसान मर जाए, लेकिन उस पर चल रही जांच कभी खत्म नहीं होगी. इतना ही नहीं बगैर किसी अपराध के साबित हुए आपको आतंकवादी मान लिया जाता है. आपके साथ आतंकवादी जैसा व्यवहार किया जाता है और पुलिस जब तक चाहे तब तक जांच जारी रख सकती है. मैं जनसेवक रह चुकी हूं और जनसेवक के तौर पर ही विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई थी. खुरेजी में यह विरोध प्रदर्शन चालू हुआ था, जिसकी शुरुआत कुछ महिलाओं ने की थी. क्योंकि मैं उस इलाके से हूं और कृष्णा नगर विधानसभा के क्षेत्र में मैं पार्षद रह चुकी हूं. मैंने जनसेवक के तौर पर ही उस प्रदर्शन में जाना शुरू किया था, लेकिन मुझे गलत तरीके से गिरफ्तार करके मुझ पर यूएपीए जैसी गंभीर धारा लगा दी गई. मैं यही कह सकती हूं कि इस पूरे मामले ने मेरी जिंदगी बदल कर रख दी है. मैं जो थी, मेरी छवि उसके उलट कर दी गई. यह एक राजनीतिक साजिश भी है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल- दिल्ली दंगो के मामले में आपकी गिरफ्तारी से कहीं न कहीं आपकी छवि एक धर्म के प्रति झुकाव वाली बन गयी है. आप क्या समझती हैं?</strong><br /><strong>जवाब-</strong> मैंने इसलिए कहा कि इस मामले ने मेरी पूरी जिंदगी बदल कर रख दी है. मैं जिस परिवार से हूं और जिस पार्टी से हूं, वहां पर धर्म को लेकर, मजहब को लेकर किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होता. मैं जिस क्षेत्र से निगम पार्षद चुनी गई, वहां पर गैर मुस्लिमों की संख्या मुस्लिमों से ज्यादा थी. लेकिन सभी ने मुझे बराबर का प्यार दिया. मैं हर धर्म के लोगों के साथ काम करती रही. उनके सुख-दुख में शामिल रही, मैंने कभी किसी एक धर्म को महत्व नहीं दिया है. लेकिन मुझे दिल्ली दंगों का आरोपी बताया गया, साजिशकर्ता बताया गया. जिससे कहीं न कहीं मेरी छवि एक धर्म के पक्ष को मानने वाली बना दी गई है ,जबकि यह सच नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल- जेल में कितने समय बंद रहीं?</strong><br /><strong>जवाब-</strong> मैं लगभग 25 महीने बगैर किसी जुर्म के जेल में बंद रही. मेरे साथ आतंकवादियों जैसा सुलूक किया गया. मुझे दूसरे कैदियों से दूर रखा जाता था. मेरे बारे में गलत बोला जाता था. जेल अधिकारियों का रवैया भी बेहद रूखा था. मेरी शादी भी जेल में हुई, मुझे 10 दिन की अंतरिम जमानत दी गयी थी. मेरे हाथ-पैरों से मेहंदी भी नहीं उतरी थी कि मुझे जेल वापस जाना पड़ा था.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल- अदालत ने आपको जमानत जरूर दी है, लेकिन आप पर लगे आरोपों को गलत नहीं माना है.</strong><br /><strong>जवाब-</strong> जी हां मेरे ऊपर लगे आरोपों को फिलहाल अदालत ने गलत नहीं माना है, क्योंकि पुलिस की जांच अभी जारी है. ये यूएपीए धारा ही ऐसी है, जिसमें पुलिस जब तक चाहे तब तक जांच कर सकती है. लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि मेरे ऊपर लगाए गए आरोप गलत साबित होंगे.</p>
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