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मिथिला से ही हुई कृषि में प्रौद्योगिकी की शुरुआत

दरभंगा,। भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी विजय प्रकाश ने कहा कि कृषि क्रांति के समय भारत आत्मनिर्भर था। प्रौद्योगिकी क्रांति के आते ही भारत के कृषि क्षेत्र में उदासीनता आती गई। मिथिला की प्रधानता कृषि के कारण भी पूरी दुनिया में थी। दुनिया में सबसे पहले कृषि में प्रौद्योगिकी की शुरुआत मिथिला में ही हुई थी। अब ये रिसर्च का विषय है कि प्रौद्योगिकी क्रांति के आते ही भारत के कृषि क्षेत्र में क्यों उदासीनता छाती गई।
शनिवार को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय और संस्कृति मंत्रालय के नेतृत्व में विज्ञान प्रसार विभाग की ओर से सीएम साइंस कॉलेज में आयोजित विज्ञान सप्ताह के पांचवे दिन ‘आगामी 25 बरखक लेल विज्ञान आओर प्रौद्योगिकी’ विषय पर अपना विचार रखते हुए पूर्व आईएएस विजय प्रकाश ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सदुपयोग से मिथिला क्षेत्र में बाढ़ पर नियंत्रण किया जा सकता है। बाढ़ पर नियंत्रण होने से मिथिला क्षेत्र में फिर से कृषि क्रांति आ जायेगी, इसके लिए अब खेती के पारंपरिक तरीके में बदलाव करने का समय आ गया है। मिथिला में इलेट्रॉनिक वस्त्र के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है। कहा कि मिथिला में खादी के क्षेत्र में दोबारा कार्य करने की जरूरत है। जबकि थ्री डी पेंटिंग के उपयोग से मिथिला पेंटिंग को आयाम मिलेगा। कोसी की रेत से ईंट और टाइल्स बनाने के प्रोजेक्ट पर कार्य करने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने मिथिला में स्टार्टअप के क्षेत्र में जोरशोर से कार्य करने की आवश्यकता जताया।
‘प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक (यथा-आर्यभट्ट, ब्रहृमगुप्त, नागार्जुन आदि)’ विषय पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभागाध्यक्ष डॉ. विघ्नेश्वर झा ने विभिन्न वैज्ञानिकों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि बराह मिहिर और आर्यभट्ट के काल विज्ञान पुस्तक संस्कृत में विज्ञान की महत्ता को दर्शाती है।
‘लघु विज्ञान चलचित्र निर्माण कार्यशाला एवं वैज्ञानिक आविष्कार पर आधारित लघु चलचित्र’ विषय पर अपना विचार व्यक्त करते हुए मैथिली फिल्म निर्देशक और एक्टर रुपक शरर ने कहा कि फिल्म उघोग एक खुला बाजार है। अब जमाना ‘कर लो मनोरंजन मुट्ठी में’ का आ गया है। उन्होंने कहा कि ओटीटी फ्लेटफॉर्म ने फिल्म की दुनिया बदल दी है। ड्रोन कैमरे का उपयोग अब फिल्म के अलावा कृषि क्षेत्र में भी होने लगा है। उन्होंने प्रतिभागियों से अपने मोबाइल पर फिल्म निर्माण के गुर सिखाये। कहा कि  फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सोच, जुनून और जज्बा वाले व्यक्ति काफी महत्व रखते हैं। वहीं महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. देवदत्त चतुर्वेदी ने आजादी के पूर्व विज्ञान के क्षेत्र में योगदान देने वाले वैज्ञानिकों के बारे में विस्तार से चर्चा की। ‘नैनो तकनीक एवं उसके अनुप्रयोग’ विषय पर अपना विचार व्यक्त करते हुए बीएआरसी के वैज्ञानिक डॉ. रघुमणि सिंह ने नैनो तकनीक की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इसे वर्तमान समय की मांग बताया।
इससे पहले विज्ञान सप्ताह महोत्सव के अध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार चौधरी ने सभी अथितिय़ों का स्वागत करते हुए उनके प्रति आभार जताया। वहीं कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रतिभागियों के बीच मॉडल निर्माण प्रतियोगिता आयोजित की गई। मॉडल निर्माण प्रतियोगिता में महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान, मारवाड़ी कॉलेज, सीएम साइंस कॉलेज और एमआरएसएम कॉलेज सहित विभिन्न महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के प्रतिभागियों ने मॉडल निर्माण प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता में सफल हुए प्रतिभागियों को 28 फरवरी को सम्मानित किया जायेगा। कार्यक्रम के अंतिम चरण में स्थानीय कलाकारों की ओर से लोगों में विज्ञान के प्रति रुचि व जागरूकता फैलाने के लिए विज्ञान लघु नाटिका का मंचन किया गया, जिसका सभी ने जमकर लुफ्त उठाया।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मन्त्रालय की स्वायत्त संस्थान विज्ञान प्रसार द्वारा संचालित ‘इंडिया साइंस’ चैनल के संपादक मानवर्धन कंठ ने विज्ञान सप्ताह महोत्सव के छठे दिन के कार्यक्रम के बारे में  जानकारी देते हुए बताया कि रविवार को ‘विज्ञान साहित्य संगोष्ठी’, ‘कोविड प्रबंधन में आयुष की भूमिका’, ‘कोविड महामारीक मनोवैज्ञानिक प्रभाव’ आदि विषय पर सेमिनार का आयोजन किया जायेगा। इसके अलावा ‘मैथिली विज्ञान कवि सम्मेलन’, ‘सांस्कृतिक कार्यक्रम’ और कविता लेखन प्रतियोगिता मुख्य आकर्षण के केंद्र में होगा। विज्ञान सप्ताह के पांचवे दिन के कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्येंद्र कुमार झा और डॉ. नेहा वर्मा ने मिलकर किया। सेमिनार में विज्ञान सप्ताह महोत्सव के संयोजक डॉ. सुजीत कुमार चौधरी, डॉ. जीएम मिश्रा, डॉ. दिलीप कुमार झा, डॉ. दिनेश प्रसाद साह, डॉ. कुमार मनीष,  डॉ. पांशु प्रतीक, डॉ. आरती कुमारी, डॉ. पूजा अग्रहरि, डॉ. निधि झा, डॉ. रश्मि रेखा, डॉ. अभय सिंह, डॉ. सुषमा रानी, नरेंद्र लाल और छात्र-छात्राएं मौजूद थे।