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पूजा अर्चना जानू तेरी कह रैदास कवन गति मोरी – महंत ब्रजेश मुनि।

पूजा अर्चना जानू तेरी कह रैदास कवन गति मोरी – महंत ब्रजेश मुनि।
पटना:- कबीरपंथी आश्रम मीठापुर स्थित कबीर साई मन्दिर में आज संत शिरोमणि रविदास जयंती के साथ गुरुवारीय यह सत्संग का आयोजन महंत ब्रजेश मुनि के सानिध्य में मनाया गया सत्संग की भूमिका प्रस्तुत करते हुए ब्रजेश मुनि ने कहा संत शिरोमणि रविदास ईश्वर भक्ति में लीन होने वाले महानुभव संत थे उनका जीवन अधिकांश प्रभु भक्ति और सत्संग में बितता था ईश्वर भक्ति का भाव व्यक्त करते हुए उनकी वाणी है
पूजा अर्चना न जानू तेरी कह रैदास कवन गति मोरी
नामदेव कबीर त्रिलोचन सधना सैनू तरै कहीं रविदास सुनह रे संतहु हरिजीउ ते समै सरै|| संत रविदास जी कहते हैं कि ईश्वर ही सभी संकट को काटने में समर्थ है उनकी कृपा से ही संत कबीर, त्रिलोचन, सदन कसाई औ सैन जैसा नाई संसार से तर गए उन्हें परमात्मा से मिलन का ज्ञान प्राप्त हो गया संत रविदास पर सत्संग के लिए आमंत्रित योग्य विशेषज्ञ ह्दय नारायण झा ने संत रविदास के भजन आया हूं बड़ी दूर से गुरुजी तेरे गाकर अपना प्रवचन आरंभ किया उन्होंने कहा संत रविदास ने भक्ति से भगवान का स्वरूप प्राप्त करने पर ही रैदास कहै जाके हदै रहे रैन दिन राम| सो भगता भगवंत सम क्रोध न व्यावे काम|| जिस ह्रदय में हमेशा राम नाम का वास होता है वह ह्रदय स्वयं राम के समान होता है राम के नाम में इतनी शक्ति होती है कि वह क्रोध और काम को भी जीत लेता है उन्होंने कहा कि अनादि काल से मन को बंधन और मोक्ष का कारण माना गया है संत रविदास भी कहते हैं -मन ही पूजा मन ही सेऊ सहज स्वरूपा भगवान हमेशा निर्मल मन में ही निवास करते हैं जिसके मन में लालच निषाद वेस्ट नहीं होता है उसका मन ही मंदिर दीपक और धूप के समान बन जाता है इस प्रकार के लोगों के मन में भगवान हमेशा विराजते हैं इसी कड़ी में राघोपुर के पूर्व विधायक सतीश कुमार ने कहां संत रविदास जी महाराज जातिवाद के घोर विरोधी थे जाति भावना को मिटाकर मानव मानव में एकता के लिए प्रेरित करते उनकी वाणी है कि जाति जाति में जाति हे जो केतन के पात
रविदास मनुष्य न गुण सके जब तक जाती न जात इस वाणी से उन्होंने सीख दिया कि कि जब तक जातियां खत्म नहीं होगी तब तक मनुष्य मनुष्य से एकात्मता कायम नहीं कर पाएगा संत रविदास की वाणी का तुलनात्मक प्रसंग सतगुरु कबीर की वाणी और साईं के भक्तों में बता कर श्रोताओं को भावविभोर किया इस अवसर पर महंत सतशरण दा,महंत तपसीजी, महंत उमेश दास, संत विवेक मुनि, डॉक्टर रामविलासजी कबीर साई डेंटल हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ इंद्रजीत कुमार ,डॉ सुदर्शन झा, डॉ सुमित वर्मा, डॉ अभिषेक कुमार कृष्णा डेंटल हॉस्पिटल के डॉ धर्मेंद्र कुमार इस अवसर पर भजन कीर्तनगाकर रूबी प्रधान उमादेवी गजेंद्र झा, रामदेव साह अदी ने भक्ति भाव अलख जगाया उसके पश्चात लंगर प्रसाद का आयोजन हुआ