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एससी में उठा यूक्रेन में फंसे छात्रों का मुद्दा, कोर्ट ने एटॉर्नी जनरल से मदद का किया अनुरोध

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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच फंसे भारतीय छात्रों का मसला आज सुप्रीम कोर्ट में भी उठा. सुनवाई की शुरुआत में कोर्ट ने मामले में कुछ कर पाने में असमर्थता जताई. चीफ जस्टिस ने कहा कि वह पुतिन को युद्ध रोकने का आदेश नहीं दे सकते. हालांकि, अंत में कोर्ट ने याचिकाकर्ता की तरफ से जिन छात्राओं का मसला उठाया गया था, उसे एटॉर्नी जनरल के पास भेज दिया. कोर्ट ने एटॉर्नी जनरल से अनुरोध किया कि वह सरकार से बात कर इन छात्राओं की मदद का प्रयास करें.

पुतिन को युद्ध रोकने का नहीं दे सकते हैं आदेश

जम्मू-कश्मीर के रहने वाले वरिष्ठ वकील ए एम डार ने कुछ छात्राओं का मसला सुबह चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच के सामने रखा. इस पर शुरुआती टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, “हमें छात्रों से हमदर्दी है. पर कोर्ट इसमें कुछ नहीं कर सकता. हम पुतिन को युद्ध रोकने का आदेश नहीं दे सकते. सरकार ज़रूरी कदम उठा रही है.” वकील के अनुरोध पर जजों ने कहा कि वह एटॉर्नी जनरल से पूछेंगे कि मामले में क्या किया जा सकता है.

यूक्रेन की सेना नहीं पार करने दे रही है बार्डर

थोड़ी देर के बाद एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने बताया कि सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीयों की हर संभव कोशिश कर रही है. प्रधानमंत्री ने खुद रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्स्की से बात की है. इस पर वकील ए एम डार ने कहा कि ओडेसा मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली 30 छात्राएं कई दिनों से यूक्रेन और रोमानिया के बॉर्डर पर बैठी हैं. यूक्रेन की सेना उन्हें बॉर्डर पार नहीं करने दे रही है. शून्य से 7 डिग्री कम तापमान में वह लड़कियां बिना भोजन और पानी के समय काट रही हैं.

एटॉर्नी जनरल को दें अपनी याचिका

इस पर एटॉर्नी जनरल ने कहा कि उन्हें इस मामले की अलग से कोई जानकारी नहीं है. सामान्य तौर पर बॉर्डर पर पहुंचे लोगों को यूक्रेन के सैनिक दूसरे देश में जाने से नहीं रोक रहे हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि डार अपनी याचिका एटॉर्नी जनरल को दे दें. एटॉर्नी जनरल इस पर सरकार से चर्चा करें. मामले में जो संभव हो सके वह सहायता करने का प्रयास करें.

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