रक्षा बंधन या रक्षा सूत्र:
भाई और बहन आपस में स्नेह की डोर से जुड़े रहें इस हेतु हमारे पूर्वजों ने इस त्योंहार को जन्म दिया।
इसके सामाजिक निर्वहन को लेकर बहुत सारी कहानियाँ भी गढ़ी गयीं । जाने कब ये परम्परा में शामिल हो गया और आज उत्तर भारत में ये चहुँ और मनाया जाता है।
मैं इन त्योंहारों के मूल उद्देश्य तक जाना चाहता हूँ। ताकि इनसे सामंजस्य बना सकूँ। फिर जितना ग़हरा उतरता हूँ उतना इनसे प्रेम करने लगता हूँ। जब देखता हूँ सामाजिक व्यवहार में समरसता और स्नेह बनाए रखने के लिए पूर्वजों ने कितना बारीकी से सोचा और त्योंहार बनाये।
हृदय भाव विभोर हो जाता है। कुछ जटिलताएँ जीवन में जुड़ी हैं जिससे त्योंहार वैसे नहीं मना पाते जैसे मनाने चाहिये, फिर भी मन सरस तो हो ही जाता है।
रक्षा सूत्र कहिये या रक्षा बंधन। भाई बहन कुछ छण फिर से अपना बचपन जी लेते हैं।
प्रेम बनाए रहिये। रिश्ते निभाये रहिये। जीवन सरस बहुत है यूँ ही सजाए रहिये।
रक्षा बंधन के शुभ दिवस पर आप सभी को हृदय से शुभकामनाएँ।