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Subhas Chandra Bose Birthday 2022: सुभाष चंद्र बोस एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं, जो अपनी वकालत और समाजवादी नीतियों के लिए जाने जाते थे. उन्होंने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ और ‘जय हिंद’ जैसे नारे दिए. स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र की जयंती हर साल 23 जनवरी को मनाई जाती है. सुभाष चंद्र बोस को ‘नेताजी’ के नाम से भी जाना जाता है. असहयोग आंदोलन में भी उनकी भागीदारी रही थी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के एक जाने-माने नेता थे.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था. नेताजी को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके खास योगदान के लिए जाना जाता है. नेताजी के राष्ट्रवादी विचारों और उनकी आक्रामक रणनीतियों के चलते अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई के दौरान वे भारतीयों के बीच नायक बन गए थे. स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इस बार 125वीं जयंती मनाई जाएगी. उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है.
1938 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने
साल 1920 के अंत में उन्होंने कम उम्र में ही जवाहरलाल नेहरू का अनुसरण करते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की यूथ विंग का नितृत्व किया. इसके बाद सुभाष चंद्र बोस 1938 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. हालांकि, बाद में भतभेदों के कारण सुभाष चंद्र बोस का कांग्रेस से रास्ता अलग हो गया और उन्होंने एक नई पार्टी बनाने की घोषणा की.
उनकी मृत्यु कब और कैसी हुई, ये अभी भी एक रहस्य है. सुभाष चंद्र से पीढ़ियां प्रेरित होते आई हैं. उनकी कही बता और उनके दिए नारे से करोड़ों भारतीयों को प्ररणा देती है. यहां उनके कुछ प्रसिद्ध मैसेज और कोट्स इस प्रकार से हैं-
एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन वह विचार, उसकी मृत्यु के बाद एक हजार जन्मों में अवतरित होगा.
आजादी दी नहीं जाती, ली जाती है.
कोई संघर्ष नहीं है, तो जीवन अपनी आधी रुचि खो देता है- अगर कोई जोखिम नहीं लेना है.
इतिहास में कोई वास्तविक परिवर्तन चर्चा से कभी हासिल नहीं हुआ है.
राजनीतिक सौदेबाजी का रहस्य यह है कि आप वास्तव में जो हैं, उससे अधिक मजबूत दिखना है.
यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी आजादी की कीमत अपने खून से चुकाएं.
जो सैनिक हमेशा अपने राष्ट्र के प्रति वफादार रहते हैं, जो हमेशा अपने जीवन का बलिदान देने के लिए तैयार रहते हैं, वे अजेय हैं.
याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है.
मेरा अनुभव है कि हमेशा आशा की कोई न कोई किरण आती है, जो हमें जीवन से दूर भटकने नहीं देती.
जिस व्यक्ति के अंदर ‘सनक’ नहीं होती वो कभी महान नहीं बन सकता. लेकिन उसके अंदर, इसके आलावा भी कुछ और होना चाहिए.
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